चाहें आप वेजिटेरियन हों या फिर नॉन-वेजिटेरियन, बीमारियों के इलाज के दौरान आप जिलेटिन से बने कैप्सूल खाते ही हैं।नई दिल्ली। क्या आपको पता है, बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए जो कैप्सूल आप खाते हैं उनमें से अधिकांश में नॉन-वेज तत्व भी शामिल होता है। चाहें आप वेजिटेरियन हों या फिर नॉन-वेजिटेरियन, बीमारियों के इलाज के दौरान आप जिलेटिन से बने कैप्सूल खाते ही हैं। लेकिन अब आप मेडिकल स्टोर से कैप्सूल खरीदते समय वेज कैप्सूल देने के लिए कह सकते हैं।एक अंग्रेजी अखबार की खबर के मुताबिक शनिवार को एक एक्सर्पट पैनल इस बारे में निर्णय लेगा कि कैप्सूल का कवर जिलेटिन का हो या फिर सैलुलौज का। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) को वैज्ञानिक कमिटी ने सुझाया है कि दवा निर्माताओं को ही यह निर्णय करना चाहिए कि वे कैप्सूल कवर जिलेटिन का काम लेंगे या फिर सैलुलोज का। सलाहकारी समिति इस बात पर भी विचार करेगी कि सैलुलोज कैप्सूल कवर को इंडियन फार्माकोपिया कमिशन में शामिल किया जाए या नहीं। हालांकि अगर जिलेटिन की बजाय कैप्सूल कवर सैलुलोज से बनाया जाना तय होगा तो ड्रग एंड कॉस्मैटिक बिल में संसोधन करना अनिवार्य होगा।गौरतलब है कि आमतौर पर देश में उपलब्ध कैप्सूल जिलेटिन कवर के साथ आते हैं। जिलेटिन पशुओं की कोशिकाओं, त्वचा, हड्डियों इत्यादि से तैयार किया जाता है। जबकि सैलुलोज कवर पौधों से बनाया जाता है। दशकों से देश में जिलेटिन कवर वाले कैप्सूल ही उपलब्ध हैं।पिछले माह ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैण्डर्ड (बीएसआई) ने अपने स्टैण्डर्ड डॉक्यूमेंट में लिखा था कि अनेकों कारणों के चलते जिलेटिन कवर के विकल्प के रूप में हाईड्रोक्सिप्रोपेल मिथाइल सैलुलोज शैल बनाने की आवश्यकता है। ब्यूरो ने जिलेटिन के इस्तेमाल में ज्यादा कड़े नियमों को लाने की भी अनुशंसा की थी। साथ ही बताया था कि हाल के वर्षों में शक्तिवद्र्धक दवाओं और डाईएट्री सपलीमेंट के लिए सैलुलोज कवर के कैप्सूल विकल्प के रूप में आए हैं।डॉक्यूमेंट में ब्यूरो ने यह भी मुद्दा उठाया है कि कैप्सूल को दवा के रूप में लिखते समय मरीज की धार्मिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत मान्यता का ख़्याल रखा जाना चाहीये
मुझे यह लेख patrika news पर मिला है
Loot price flipcart
Wednesday 21 October 2015
आप कैप्सूल में खा रहे हैं पशुओं का मांस, हड्डी और खाल
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment
Thanks