कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पहले टेलीविजन इंटरव्यू में कहा कि 2002 में हुए गुजरात दंगे नरेंद्र मोदी व उनकी सरकार ने भड़काये। वैसे तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट के बाद ऐसी बातों का कोई अर्थ नहीं रह जाता है, लेकिन अगर देश के इतने बड़े नेता ने अगर यह बात कही है, तो उस पर सवाल उठने भी लाजमी हैं। गुजरात में दंगे हुए, यह राहुल गांधी को पता है, मुस्लिम मारे गये, यह भी पता है, लेकिन कितने हिन्दू मारे गये उन्होंने यह जानने की कोशिश तक नहीं की और मोदी ने कितने मुसलमानों की जान बचायी यह भी उन्हें नहीं मालूम होगा। खैर राहुल गांधी के लिये तमाम सवालों के साथ-साथ मैं गुजरात दंगों से जुड़ी कुछ ऐसी बातें आपको बताउंगा जो शायद आपको नहीं मालूम होंगी।
6000 हज यात्रियों को मोदी ने बचाया
कांग्रेस उपाध्यक्ष समेत देश के तमाम लोगों को यह तथ्य नहीं मालूम है कि 27 फरवरी 2002 को दंगे भड़के और उसके ठीक दो दिन बाद हज करके लौटे करीब 6000 मुसलमान अलग-अलग जत्थों में अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उतरे। एयरपोर्ट से बाहर निकलते, तो जान से हाथ धोना पड़ जाता, लिहाजा उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक दिया गया और सीधी सूचना मुख्यमंत्री कार्यालय भेजी गई और पूछा गया कि क्या किया जाये।
मोदी ने पुलिस की एक विशेष टीम को निर्देश दिये और कहा, "सभी 6000 मुसलमान भाई सुरक्षित अपने घर तक पहुंचने चाहिये, अगर एक की भी जान गई, तो आप नौकरी पर वापस मत आइयेगा।" मोदी की इस विशेष टीम ने सेना के सहयोग से सभी को गुजरात के अलग-अलग शहरों, कस्बों में स्थित उनके घर तक पहुंचाया।
सवाल राहुल से- अगर वाकई में मोदी ने दंगे भड़काये थे, तो 6000 मुसलमानों को उन्होंने क्यों बचाया?
क्या हुआ दंगों के पहले 72 घंटों में?
गोधरा स्टेशन पर ट्रेन में आगजनी के बाद फैले दंगों के पहले 72 घंटों में गुजरात पुलिस की ओर से 103,559 राउंड गोलियां चलायी गईं। ये गोलियां किसी हिन्दू या मुसलमान पर नहीं चलायी जा रही थीं, ये गोलियां दंगाईयों पर चलायी जा रही थीं। दंगों के दौरान गुजरात पुलिस ने 10,861 मुसलमानों को गिरफ्तार किया और उनसे कहीं अधिक 66,268 हिन्दुओं को।
सवाल राहुल से- अगर मुसलमानों को मारना चाहते थे मोदी, तो उनसे छह गुनी संख्या में हिन्दुओं को क्यों गिरफ्तार किया गया?
दिग्विजय सिंह ने नहीं भेजी पुलिस
2002 में दंगे भड़कते ही नरेंद्र मोदी को आभास हो गया कि स्थिति अनियंत्रित हो सकती है। उन्होंने तुरंत पड़ोसी राज्यों को फैक्स भेजे, और पुलिस फोर्स की डिमांड की, क्योंकि सेना के पहुंचने में समय लग रहा था। इसे मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की राजनीतिक खुन्नस ही कहेंगे कि उन्होंने मोदी को पुलिस फोर्स देने से साफ इंकार कर दिया।
सवाल राहुल से- क्या आपने कभी दिग्विजय सिंह से पूछा कि उस दिन पुलिस फोर्स क्यों नहीं दी थी?
एसआईटी को नहीं मानते राहुल गांधी
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि दंगे रोकने के लिये मोदी ने हर संभव उपाये किये थे। इसके बावजूद अगर राहुल गांधी मोदी पर निशाना साधते हैं, तो इससे यह साफ है कि राहुल गांधी उस एसआईटी को नहीं मानते जिसका सम्मान सर्वोच्च न्यायालय करता है।
सवाल राहुल से- क्या आपको देश की जांच एजेंसियों पर विश्वास नहीं है,
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