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Sunday 5 March 2017

यदुवंश का रहस्य (इतिहास) story yadav


आज जो बाते आपको बताने वाला हु वो ऐतिहासिक रूप से प्रमाणित है तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे ।

कुछ लोग हमारे इतिहास से खिलवाड़ करके खुद को यदुवंश से जोड़नेका प्रयास कर रहे है वो तरह तरह की अफवाह फ़ेला रहे है इसके लिए अनेको तर्क देते है आज मै उनका सच आपको बताने जा रहा हु
1 कुछ लोग तर्क देते है कि वासुदेव (राजपूत)और नंदबाबा (यादव\अहीर) अलग अलग अलग जाति से थे जबकि सच ये है की दोनों क्षत्रिय यादव थे ।जबकि राजपूत शब्द तो 12वी शताब्दी तक कही भीअस्तित्व में ही नही था।
क्षत्रियों का प्रधान वंश यादव वंश है...यादव-कुल की एक अति-पवित्र शाखा ग्वालवंश है जिसका प्रतिनिधित्व नन्द बाबा करते थे .. .. बहुत से अज्ञानी दोनों को अलग -अलग वंश का बताते हैं....मूर्खों को ये मालूम नहीं की नन्द बाबा और कृष्ण के पिता वासुदेव रिश्ते में भाई थे जिसे हरिवंश पुराण में पूर्णतः स्पष्ट किया गया है....
भागवत पुराण में भी इस बात का जिक्र है.....ठीक इसी प्रकार वासुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी (बलराम जी की माता ) और माता यशोदा सगी बहने थी ।
ग्वालवंश में ही समस्त यादवों की कुल-देवी माँ विंध्यवासिनी देवी ने जन्म लिया था..
भागवत पुराण के अनुसार तो भगवान् श्रीकृष्ण के गोकुल प्रवास के दौरान सभी देवी-देवताओं ने ग्वालों के रूप में अंशावतार लिया था...
इसीलिए ग्वालवंशको अति-पवित्र माना जाता है।
2 कुछ महामूर्ख यादव और अहीर को भी अलग बताते है..अहि का अर्थ संस्कृत में सर्प होता है और अहीर का मतलब सर्प दमन होता है...ऋग वेद में राजा यदु का वर्णन है..इसीलिए उनके वंशज यादव-वैदिक क्षत्रिय है...ऋग वेद में महाराज यदु को वन में एकसांप को मारने की वजह से 'अहीर' की संज्ञा दी गयी है..बाद में कालिया नाग के दमन के पश्चात् श्रीकृष्ण को भी अहीर कहा गया .अहीर का अर्थ निर्भय भी होता है .
3 हरियाणा राज्य का नाम भी अहीरों के नाम पर पड़ा है पहले इसको अभिरयाणा बोला जाता था समय के साथ भाषा के बदलाव के कारण अहिराना - हीराना -हरियाणा हो गया ।
4 आज कल कुछ मुर्ख लोग बोल रही है श्री कृष्ण राजपूत है और ये खुद को यदुवंश से जोड़ने लगे इसके लिए तर्क देते है कि मथुरा Vrindavan और काफी जगह कृष्ण जी के साथ "ठाकुर" शब्द प्रयोग होता है इसलिए वो राजपूत है उन महामुर्खो को बता दू कि ठाकुर एक उपाधि है जिसका अर्थ होता है पालन करता ( जो गरीब और असहाय लोगो की सहयाता करता हो ) ये ठाकूर शब्द इसलिए ही प्रयोग होता है । और ठाकुर शब्द ठीक उसी प्रकार की उपाधि है जेसे चौधरी राव नम्बरदार मुखिया etc. ठाकुर मध्यप्रदेश में हरिजन जाती और up में नाई जाती भी प्रयोग करती है । वैसे भी महाभारत में साफ साफ लिखा कृष्ण जी यादव थे ।
5 आमतोर पर कहा जाता है कि कृष्ण जी ने 16000 शादिय की थी मगर सच ये है की प्राग्ज्योतिष के राजा नरकासुर ने 16000 राज कन्याओ को कैद कर रखा था श्री कृष्ण ने इस राक्षस को मारकर इन राजकन्याओ को आजाद करवाया और उनको समाजिक सुरक्षा देने के लिए आज के नारी निकेतन की तरह उनके रहने का प्रबध किया था । ये बात विष्णु पुराण और महाभारत में प्रमाणित है ।
6 तर्क दिया जाता है कि गंधारी के श्राप के कारण श्री कृष्ण के शरीर त्याग (सरस्वती नदी के तट पर) के बाद सारे यादव मर गये थे परन्तु आज भी भारत देश में यादव सबसे बड़ी जाति के रूप में मोजूद है हां श्री कृष्ण के बाद यादवी संघर्ष हुए थे (सोमनाथ के करीब) लेकिन उनमे कुछ मुर्ख यादव राजा मारे गये थे वहा आज भी 110 में से 88 गाव मोजूद है जो बादलपुरा अहीर से तलाला तक फेले है ।
7 कई जगह लिखा गया है कि समुद्र में मूसल चूर्ण डालने के कारण पटेरा(एक पणियर घास ) बना जिसकी मार से सारे यादव मारे गये थे लेकिन समुद्र किनारे प्रभास क्षेत्र मोजूद है और यादव भी मोजूद है तो फिर ये घास आज तलवार बनकर यादवों को क्यों नही मार रही..??
और जब मथुरा उत्तरप्रदेश से कृष्ण जगतगुरुम् हरीयाणा गुजरात गये साथ यादव सेना भी साथ चलने लगी गुजरात मे जहा जगह मिली वहा कृष्ण जी की यादव सेना रहने लगी तब प्रदेश से जाने जाते थे राजकोट मोरबी कच्छ प्रदेश मच्छु से जाना जाता था तब मच्छो यादव कहलाता और सोरठ मे रुके वो सोरठ के यादव पंचाल मे रुके वो पंच जन्म पंचोली यादव लेकीन हम तो कृष्ण के वंशज ऐक ही है हम क्यु पुरानि बातो का ठेका लेकर चलते है अभी भी तब हमारे बुजुर्गो जिन प्रदेश मे रहते थे वहा के यादव कहते थे मगर वो यादव नहि की हम अलग अलग है मगर उनका भी कारन है ये इस समय के व्यापारी मनुवादी सोच ने हमे पुरे भारत वर्ष मे जुदा करने का प्लान बनाया था क्यु की हिंदुस्तान मे सब से आबादी कृष्ण वंश यदुविरो की थी उनको पता था की ऐक समय वो हमारे पर राज करेंगे तब ही उस ने हमारे बिना पढे लीखे बुजुर्गो को जात मे बटवारे करवा दीये अब संभल ने का समय आ गया पुरे भा

 

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